रविवार, 12 अप्रैल 2015

सफदर हाशमी की किताबों पर कविता


सफदर हाशमी (12 अप्रैल 1954 – 2 जनवरी 1989) बेहतरीन नाट्य लेखक, अभिनेता, गीतकार, कवि और जुझारू रंगकर्मी थे। वे जन नाट्य मंच के नाम से दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में नुक्‍कड़ नाटक करके जन जागृति की मुहिम चलाते थे। 2 जनवरी 1989 को जब वे साहिबाबाद में हल्‍ला बोल नाम का नुक्कड़ नाटक खेल रहे थे तो उन्‍मादी भीड़ ने उन पर जानलेवा हमला किया और वे शहीद हो गये थे। बच्‍चों के लिए उन्‍होंने बहुत खूबसूरत पोस्‍टर बनाये थे और कविताएं लिखी थीं।
आज किताबों पर उनकी एक खूबसूर कविता आपसे शेयर कर रहा हूं:

किताबें
करती हैं बातें
बीते ज़माने की
दुनिया की इंसानों की
आज की, कल की
एक - एक पल की
खुशियों की, ग़मों की
फूलों की, बमों की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की !
क्या तुम नहीं सुनोगे
इन किताबों की बातें ?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं |
किताबों में चिड़ियां चहचहाती हैं
किताबों में खेतियां लहलहाती हैं
किताबों में झरने गुनगुनाते हैं
परियों के किस्से सुनाते हैं |
किताबों में रोकेट का राज है
किताबों में साइंस की आवाज़ है
किताबों का कितना बड़ा संसार है
किताबों में ज्ञान का भंडार है |
क्या तुम इस संसार में
नहीं जाना चाहोगे ?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं 

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