रविवार, 12 अप्रैल 2015

लेखकों की रोचक आदतें



• जॉर्ज बर्नार्ड शॉ गिन कर पाँच पेज प्रतिदिन लिखते थे। पांचवें पेज का आखिरी वाक्‍य अगर अधूरा रह गया तो वे उसे अधूरा ही छोड़ देते थे और अगले दिन पूरा करते थे। किसी वजह लेखकोंसे अगर किसी दिन अगर साढ़े चार पेज लिखे तो अगले दिन साढ़े पाँच पेज लिख कर कोटा पूरा कर लेते थे।।लेखकों
• थॉमस मान दिन में औसतन चार सौ शब्द लिखा करते थे।
• लायन फ्यूशवेंगर दो हज़ार शब्दों की डिक्टेशन दिया करते थे जिनसे छ: सौ लिखे हुए शब्दों का प्रतिदिन का औसत आता था।
• सामरसेट मॉम चार सौ शब्द प्रतिदिन लिखा करते थे ताकि लिखने का अभ्यास बना रहे। वे अपने को अंधविश्वासी तो नहीं मानते थे लेकिन फिर भी वे अपने लिखने के कागजों, पुस्तकों की जिल्दों, घर के प्रवेश द्वारों, यहां तक कि ताश की अपनी गड्डियों के सारे पत्तों पर भी दुष्ट नेत्र का चिन्ह अंकित करवाते थे। लिखते समय वे सदैव अपने पास एक ताबीज रखते थे ताकि दुष्ट प्रकृति वाली वस्तुओं का उनके मस्तिष्क पर प्रभाव न पड़े।
• एच जी वेल्स का एक हज़ार शब्द प्रति दिन लिखने का औसत आता था।
• चार्ली चैप्‍लिन लगभग एक हज़ार शब्द प्रतिदिन की डिक्टेशन देते थे। इनसे उनकी फिल्मों के लिए तैयार संवादों का लगभग तीन सौ शब्दों का औसत आता था।
• प्रसिद्घ फ्रांसीसी उपन्यासकार बाल्जाक लिखते समय अपनी बगल में जलता दीप रखते थे। दोपहर की तीखी रौशनी में भी उनकी बगल में दीप जलता रहता। मजे की बात, पायजामा और ड्रेसिंग गाउन पहनकर ही उन्हें लिखने की प्रेरणा मिलती थी।
• चार्ल्स डिकेंस अपने साथ हमेशा एक कम्पास रखते थे। उनका यह दृढ़ विश्वास था कि यदि वह उत्तर दिशा में सिर रखकर नहीं सोएंगे तो उन्हें मौत उठा ले जाएगी। वह जहां कहीं भी गए हमेशा उस कम्पास की सहायता से उत्तर की ओर सिर करके सोते रहे।

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