रविवार, 12 अप्रैल 2015

द बर्मीज़ डेज़



जॉर्ज आर्वेल का एक उपन्यास है - । उसमें एक प्रसंग है कि अंग्रेज अफसर पी कर धुत्त पड़ा हुआ है और उसे मच्छर काट रहे हैं। तभी उसका एक दोस्त आता है। उसकी ये हालत देख कर वह दोस्त नौकर को बुरी तरह से डांटता है - तुम्हें  शरम नहीं आती मालिक को इस हालत में छोड़ रखा है। देखो कितने मच्छर हैं। तुम कुछ करते क्यों नहीं।
नौकर भोलेपन से जवाब देता है – साब जी, जब हमारा साब पी कर आता है तो आधी रात तक उनको पता नहीं चलता कि‍ मच्छर किधर हैं और बाकी आधी रात के बाद मच्छरों को पता नहीं चलता कि‍ साब किधर है।

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