जॉर्ज बर्नार्ड शॉ एक दिन फुटपाथ पर लगे किताबों के ठीये के पास से गुज़र रहे थे तो उन्हें सामने पुरानी किताबों के ढेर में अपनी एक किताब नज़र आयी। उनकी यह देखने की उत्सुकता स्वाभाविक थी कि इस किताब का फुटपाथ तक पहुंचने का रूट क्या रहा होगा। उन्होंने किताब उठायी तो देखा कि अरे, ये प्रति तो वे अरसा पहले एक मित्र को भेंट कर चुके थे और उस पर उनका खुद का लिखा सप्रेम भेंट और उनके हस्ताक्षर भी हैं। उन्होंने किताब वाले से पूछा कि कितने में दी ये किताब तो उसने बताया एक पाउंड। बर्नार्ड शॉ बिगड़े - लूट मचा रखी है क्या, ये मेरी लिखी किताब है और तू एक पाउंड मांग रहा है, ला दे बीस पेंस में। और वे उसे रेजगारी थमा के किताब घर ले आये। आराम से बैठ कर किताब साफ की। पहली भेंट के नीचे लिखा, तुम्हें पुनः भेंट प्रिय मित्र, उस पर हस्ताक्षर किये, तारीख डाली और नौकर के हाथ किताब उस अभागे मित्र के पास दोबारा भिजवा दी।
हर सोम वार किताबों का एक रोचक किस्सा शेयर करेंगे।
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