1. गैब्रियल गार्सिया मार्केज के लिखने की आदतें बेहद दिलचस्प थीं। उन्होंने हमेशा टाइपराइटर पर लिखा। वे सिर्फ दो उंगलियों से टाइप करते थे। दोनों हाथों की तर्जनी से। अगर उनकी मेज पर पीला गुलाब न हो, तो वे लिख नहीं पाते थे। वह अपने लिखे हुए को शब्दों में नहीं मापते थे, बल्कि मीटर में मापते थे, क्योंकि शुरुआती दिनों में वह कागज की लंबी रिम पर लिखा करते थे।
2. विख्यात अंग्रेजी कवि बायरन सोते-सोते डरावने सपने देखते थे। इन डरावने सपनों के चक्कर में वे हमेशा अपने सिरहाने कारतूसों से भरी दो पिस्तौलें रखकर सोते थे, ताकि सपनों के काल्पनिक शत्रु से मुकाबला किया जा सके। कहा जाता है कि बहुत सी रातों में उनके कमरे से पिस्तौलों के चलने की आवाज भी सुनाई देती थी।
3. जर्मन कवि शिलर अपनी मेज की दराज में सड़े हुए सेब भरे रखते थे। उनका कहना था कि वह सड़ी हुई गंध उसके मस्तिष्क को जगाये रखती है।
4. रूसी साहित्यकार चेखव को घड़ी सामने रखकर लिखने की आदत थी। हर वाक्य की समाप्ति पर उनकी निगाह घड़ी पर होती थी।
5. बॉक्स आर्नाल्ड बैनेट करीब 15 वर्ष तक सदैव अपनी जेब में शिलिंग के वे सिक्के रखे रहे जो उन्हें प्रथम लेख के पारिश्रमिक स्वरूप मिले थे।
6. विख्यात लेखक और कलाकार लियोनार्ड द विंसी के लिखे अक्षर कुछ गिने-चुने विशेषज्ञ ही पढ़ और समझ पाते थे। वह औरों की भांति बाएं से दाएं न लिखकर, दाएं से बाएं लिखते थे।
7. फ्रांस के प्रसिद्घ लेखक अलेक्जेंडर ड्यूमा को रंग-बिरंगे कागजों की सनक थी। वे उपन्यास नीले कागज पर, कविता पीले कागज पर और लेख गुलाबी कागज पर लिखा करते थे।
8. जॉर्ज ऑर्वेल, मार्क ट्वेन, एडिथ वार्टन, विंस्टन चर्चिल और मार्सेल प्रोउस्ट आदि लेखक अपना अधिकतर लेखन बिस्तर में लेट कर ही करते थे।
1 टिप्पणी:
अपने अपने अंदाज ,अपनी अपनी आदतें,लेकिन इनसे जो रचनात्मकता निखर कर आई वह कितनी गजब की है , आपका यह संग्रह भी प्रशंसनीय है
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