रविवार, 12 अप्रैल 2015

अब्राहम लिंकन की पहली किताब


अमेरिका के 16वें राष्‍ट्रपति अब्राहम लिंकन (फरवरी 12,1809 – अप्रैल 15, 1865) बेहद गरीब थे और बचपन में स्‍कूली और अपनी मन पसंद किताबें जुटा कर पढ़ पाना उनके लिए किसी ऐय्याशी से कम नहीं था। वे ढंग से स्‍कूली शिक्षा भी नहीं पा सके थे।
उन दिनों वे लकड़ियां चीर कर गुज़ारा कर रहे थे। अपने पड़ोसी क्राफोर्ड से उन्‍हें व्‍हिम्‍स की लिखी Life of Washington पढ़ने के लिए उधार मिल गयी। ये किताब उन्‍हें बुककेस बनाने के एवज में पढ़ने के लिए मिली थी। एक रात भयंकर आंधी आयी और किताब पूरी तरह से भीग गयी। एक तरह से बरबाद ही हो गयी।
सुबह किताब देखने लायक नहीं बची थी। नुक्‍सान हो चुका था और उसकी भरपाई नहीं हो सकती थी। हताश और निराश बालक लिंकन किताब के मालिक के सामने हाजिर हुए। उनके पास किताब की कीमत चुकाने के लिए धेला भी नहीं था इसलिए तय हुआ कि वे इस नुक्‍सान की भरपाई मज़दूरी करके करेंगे।  क्राफोर्ड सहमत हो गये और यह तय हुआ कि लिंकन किताब की कीमत 75 सेंट के बराबर मज़दूरी करके चुकायेंगे।
 - क्‍या ये किताब के नुक्‍सान की भरपाई होगी किताब की कीमत? भोले लिंकन ने पूछा था।
जवाब मिला था - अब ये किताब न तो मेरे लिए और न ही किसी और के लिए ही कोई मायने रखती है। मज़दूरी करने के बाद तुम इसे रख सकते हो, अगर किसी काम की बची हो।
लिंकन उसी हालत में किताब को लिये हुए घर लौटे और खुशी खुशी तीन दिन तक क्राफोर्ड के लिए लकड़ियां चीरने का काम किया। किताब अब उनकी हो गयी थी।
आप कल्‍पना कर सकते हैं कि बालक लिंकन ने किस तरह भीग कर बुरी तरह खराब हो गयी किताब का एक एक पन्‍ना अलग करके सुखाया होगा और उसे दोबारा सहेज कर पढ़ने लायक बनाया होगा।

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