रविवार, 12 अप्रैल 2015

आयन रैंड के उपन्‍यास पढ़ने वाला कामचोर क्‍लर्क




ये किस्‍सा लखनऊ का है। एक आइएएस अधिकारी ट्रांसफर हो कर अपने नये विभाग में पहुंचा। उसने देखा कि वह जिस पैसेज से हो कर अपने चैंबर तक पहुंचता है, वहीं एक क्‍लर्क दिन भर उपन्‍यास ही पढ़ता रहता है। अधिकारी ने आते-जाते उसे कभी काम करते नहीं देखा। सैक्‍शन ऑफिसर को बुलवाया, पूछा उससे तो पता चला कि वह तो बरसों से कोई काम ही नहीं करता, बस जब देखो अंग्रेजी उपन्‍यास ही पढ़ता रहता है। आइएएस अधिकारी के कान खड़े हुए - तो इसका मतलब वह ऑफिस में उपन्‍यास पढ़ने का वेतन पा रहा है। जवाब मिला - क्‍या करें साहब, कोई भी काम दो, करता ही नहीं। पूछा गया – कब से चल रहा है ऐसा तो पता चला कि उसे तो हमेशा से उपन्‍यास पढ़ते ही देखा गया है।
अधिकारी ने तब कहा कि जरा पता लगाइये कि किस लेखक के उपन्‍यास पढ़ता है। पता चला कि इन दिनों आयन रैंड का उपन्‍यास एटलस श्रग्‍ड पढ़ रहा है।
अधिकारी ने तय कर लिया कि क्या करना है। उसने अपने कॉलेज के दिनों में ये उपन्‍यास पढ़ रखा था। फिर से खोज कर पढ़ना शुरू किया। आयन रैंड का फाउंटेनहैड और दूसरे उपन्‍यास भी अच्‍छी तरह पढ़ लिये।
एक दिन चाय के समय क्‍लर्क को अपने चैम्‍बर में बुलवाया। इधर-उधर की बातें शुरू कीं। क्‍लर्क हाथ ही न धरने दे। अधिकारी धीरे-धीरे बात आयन रैंड पर ले आया और बताया कि वह मेरी भी प्रिय लेखिका है। उनके रचे कई पात्रों की बातें कीं तो क्‍लर्क थोड़ा खुला।
अब अधिकारी अक्‍सर क्‍लर्क को बुलवा भेजता और सिर्फ उपन्‍यासों की ही बात करता। अपनी पसंद और उसकी पसंद की किताबों का आदान-प्रदान शुरू किया। थोड़ा समय लगा क्‍लर्क को लाइन पर लाने में कि वह सहज हो कर बात कर सके।
एक दिन अधिकारी ने क्‍लर्क को अपने विश्‍वास में लेते हुए कहा- यार, एक परेशानी है। तुम्‍हारी मदद चाहिये।
क्‍लर्क अब न कहने की स्‍थिति में नहीं था- आप आदेश दीजिये।
- इस ऑफिस का रिकार्ड मेन्‍टेंनेस सिस्‍टम बहुत खराब है। तुम कुछ कर सकते हो क्‍या।
क्‍लर्क ने आश्‍वस्‍त किया - हो जायेगा साहब।

ये किस्‍सा यहां पूरा होता है कि उस नाकारा क्‍लर्क का बनाया हुआ रिकार्ड सिस्‍टम आइएएस अकादमी मसूरी में बरसों तक पढ़ाया जाता रहा।

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