रविवार, 12 अप्रैल 2015

ज्‍यां जेने - उठाईगिरी से सम्‍मानित लेखन तक का सफ़र



ज्‍यां जेने (Jean Genet 19 दिसम्‍बर 1910 – 15 अप्रैल 1986) ऐसे फ्रांसीसी उपन्‍यासकार, नाटककार, कवि, निबंधकार और राजनैतिक एक्‍टिविस्‍ट रहे हैं जिन्होंने अपना जीवन उठाईगिरी, टुच्‍ची चोरी चकारियों और इसी तरह के अपराधों से शुरू किया था। उनके उपन्‍यासों में Querelle of Brest, The Thief's Journal, और Our Lady of the Flowers, तथा नाटकों में The Balcony, The Blacks, The Maids और The Screens शामिल हैं।
• जेने की मां वेश्‍या थी। कुछ महीने जेने को पालने के बाद मां ने उन्‍हें पालना घर में रखवा दिया था। यहां एक बढ़ई ने जेने को पाला। पढ़ाई में अच्‍छे अंक लाने के बावजूद वे कुसंगति में पड़ गये और चोरी चकारी करने लगे। वे दो एक बार घर से भी भागे।
• बढ़ई पिता के बाद वे एक अधेड़ परिवार के साथ रहे। वहां वे रात को अक्‍सर चेहरा ढांप कर अपने धंधे पर निकल जाते। एक बार कहीं पहुंचाने के लिए जेने को ढेर सारा धन दिया गया लेकिन जेने उसे बीच में ही गायब कर गये।
• इस घटना के लिए और दूसरी हरकतों के लिए जेने को पंद्रह बरस की उम्र में लगभग ढाई बरस तक एक तरह से सुधार गृह में रखा गया। अपनी किताब The Miracle of the Rose (1946) में उन्‍होंने इस सज़ा का लेखा जोखा दिया है। उन पर समलैंगिकता का भी आरोप लगा। चोरी करने, जाली कागजा़त बनाने, बेजा हरकतें करने और दूसरे अपराधों की सज़ा के लिए उनके जेल जाने और छूटने का सिलसिला चलता रहा। जेल में ही जेने ने अपनी पहली कविता और उपन्‍यास Our Lady of the Flowers (1944) लिखे।
• बाहर आने पर पेरिस में जेने ज्‍यां कॉकटीयू से मिले। कॉकटीयू जेने के लेखन से खासे प्रभावित हुए और अपने संपर्कों से जेने का उपन्‍यास छपवाने में मदद की।
• हालत ये हो गयी कि 1949 में दस अपराध सिद्ध हो जाने के बाद जब ज्‍यां जेने को आजीवन कारावास की सज़ा देने की नौबत आ गयी तो कॉकटीयू और ज्‍यां पॉल सार्त्र और पाब्‍लो पिकासो सहित गणमान्‍य नागरिकों ने ज्‍यां जेने की सज़ा को माफ कर देने के लिए फ्रांस के राष्‍ट्रपति के आगे गुहार लगायी। इसके बाद जेने को कभी जेल नहीं जाना पड़ा।
• 1949 तक ज्‍यां जेने पाँच उपन्‍यास, तीन नाटक और असंख्‍य कविताएं लिख चुके थे। लेखन में भी वे समलैंगिकता और अपराधों को परोसने से बाज नहीं आये।
• सार्त्र ने ज्‍यां जेने के अस्‍तित्‍ववादी विकास (बदमाश से लेखक) पर 1952 में एक लम्‍बा विश्‍लेषणात्‍मक लेख संत जेने लिखा था। इस लेख से ज्‍यां जेने इतने प्रभावित हुए कि अगले पाँच बरस तक एक अक्षर भी नहीं लिख सके। जेने अवसाद के शिकार भी हुए और आत्‍महत्‍या का प्रयास भी किया।
• 1968 के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुए। 1970 में ब्‍लैक पैंथर्स ने उन्‍हें अमेरिका में आमंत्रित किया। वहां वे लेखन के अलावा लैक्‍चरबाजी भी करते रहे।
• लेखन की ही तरह उनकी राजनैतिक पारी अंतर्राष्‍ट्रीय मंच पर खासी महत्‍वपूर्ण रही।

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