मैं बरसात में भीगते हुए रोता हूं ताकि कोई मेरे आंसू न देख ले – चार्ली चैप्लिन
जब मैंने चार्ली चैप्लिन की यह कोटेशन पढ़ी और मुझे पता चला कि उन्होंने अपनी आत्मकथा (माइ ऑटोग्राफी) भी लिखी है तो मैंने उसी दिन तय कर लिया कि यह आत्मकथा खोज कर पढ़नी है और इसका अनुवाद भी करना है।
ये 2001 की बात है। पूरे देश में जहां भी गया, ये किताब नहीं मिली। पूरी बंबई में पुरानी किताबें बेचने वाले सभी दुकानदारों के हर कर्मचारी को पता चल चुका था कि एक बंदा है जो अरसे से इस किताब की तलाश कर रहा है। इंगलैंड में भी ये किताब नहीं मिली। बरसों से आउट ऑफ प्रिंट थी।
आज की दुनिया की सबसे बड़ी दुकान अमेजन तब सिर्फ और सिर्फ पुरानी किताबें बेचता था। बहुत आसान तरीका था उनका। आपको दुनिया भर में जो भी पुरानी किताब खरीदनी या बेचनी हो, उनके ऑनलाइन कैटेलॉग की मदद से ऐसा कर सकते थे। अमेजन ने बताया कि दुनिया भर में पांच ऐसे लोग हैं जो चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा की अपनी प्रति बेचना चाहते हैं। वे पैसे तो ठीक ठाक मांग रहे थे लेकिन कूरियर खर्च किताब की कीमत से भी बहुत ज्यादा था।
आखिर ये किताब बंबई में ही फुटपाथ की पुरानी किताबों के ठीये पर मिल गयी। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। पूरे दो बरस की खोज के बाद किताब मेरे हाथ में थी। पहला काम ये किया कि पूरी किताब की दो सेट फोटोकॉपी करायी ताकि प़ढ़ते या बाद में अनुवाद करते समय ये किताब खराब न हो।
अगले दो तीन बरस मेरे लिए अद्भुत थे। इतनी शानदार आत्मकथा। महान अभिनेता, निर्देशक, संपादक, लेखक, संगीतकार, निर्माता और सबसे बड़ी बात, पूरी दुनिया को अपने मूक अभिनय से हंसा हँसा कर लोप पोट कर देने वाले इस महान कलाकार चार्ली चैप्लिन की संगत में रहना और उनकी निकटता का लाभ लेना। इस आत्मकथा को पढ़े बिना आप उनके जीवन के उतार चढ़ावों की कल्पना भी नहीं कर सकते।
आत्मकथाओं के अनुवाद करते समय यही होता है। आपको महीनों और कई बार बरसों आत्मकथा के लेखक के साथ समय गुजारने का मौका मिलता है। ऐसा महसूस होने लगता है कि लेखक रोजाना आपको अपने घर बुला रहे हैं, आपके साथ खा पी रहे हैं, बागवानी करते हुए, अपनी किताबों की धूल झाड़ते हुए या चाय की चुस्कियां लेते हुए वे अपने जीवन के ढके छुपे पल आपके साथ शेयर कर रहे हैं। खुद अपनी कहानी सुना रहे हैं। मैंने महात्मा गांधी की आत्मकथा, चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा और ऐन फ्रैंक की डायरी का भी अनुवाद किया है और इस बहाने हर विभूति के साथ बहुत सा वक्त गुजारने का सुख पाया है।
अनुवाद करते समय ही विभिन्न पत्रिकाओं में इसके रोचक अंश छपने लगे थे।
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा 2006 में आधार प्रकाशन से छपी, खूब पढ़ी गयी और सराही गयी। बंबई में एक भव्य आयोजन में फिल्मकार और लेखक वेद राही जी ने इसका लोकार्पण किया था।
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा का यह अनुवाद आधार प्रकाशन, पंचकूला ( संपर्क श्री देश निर्मोही, फोन नंबर 9417267004, ईमेल aadhar_prakashan@yahoo.com) पर तथा अमेजन पर हार्डबाउंड और पेपरबैक दोनों में उपलब्ध है। पेपरबैक में 596 पृष्ठ की किताब का मूल्य सिर्फ 395 रुपये है। इसके अलावा मेरी कुछ और किताबें भी अमेजन पर उपलब्ध हैं।
देश निर्मोही जी किताब भेजने के लिए डाकखर्च नहीं लेते।
ये 2001 की बात है। पूरे देश में जहां भी गया, ये किताब नहीं मिली। पूरी बंबई में पुरानी किताबें बेचने वाले सभी दुकानदारों के हर कर्मचारी को पता चल चुका था कि एक बंदा है जो अरसे से इस किताब की तलाश कर रहा है। इंगलैंड में भी ये किताब नहीं मिली। बरसों से आउट ऑफ प्रिंट थी।
आज की दुनिया की सबसे बड़ी दुकान अमेजन तब सिर्फ और सिर्फ पुरानी किताबें बेचता था। बहुत आसान तरीका था उनका। आपको दुनिया भर में जो भी पुरानी किताब खरीदनी या बेचनी हो, उनके ऑनलाइन कैटेलॉग की मदद से ऐसा कर सकते थे। अमेजन ने बताया कि दुनिया भर में पांच ऐसे लोग हैं जो चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा की अपनी प्रति बेचना चाहते हैं। वे पैसे तो ठीक ठाक मांग रहे थे लेकिन कूरियर खर्च किताब की कीमत से भी बहुत ज्यादा था।
आखिर ये किताब बंबई में ही फुटपाथ की पुरानी किताबों के ठीये पर मिल गयी। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। पूरे दो बरस की खोज के बाद किताब मेरे हाथ में थी। पहला काम ये किया कि पूरी किताब की दो सेट फोटोकॉपी करायी ताकि प़ढ़ते या बाद में अनुवाद करते समय ये किताब खराब न हो।
अगले दो तीन बरस मेरे लिए अद्भुत थे। इतनी शानदार आत्मकथा। महान अभिनेता, निर्देशक, संपादक, लेखक, संगीतकार, निर्माता और सबसे बड़ी बात, पूरी दुनिया को अपने मूक अभिनय से हंसा हँसा कर लोप पोट कर देने वाले इस महान कलाकार चार्ली चैप्लिन की संगत में रहना और उनकी निकटता का लाभ लेना। इस आत्मकथा को पढ़े बिना आप उनके जीवन के उतार चढ़ावों की कल्पना भी नहीं कर सकते।
आत्मकथाओं के अनुवाद करते समय यही होता है। आपको महीनों और कई बार बरसों आत्मकथा के लेखक के साथ समय गुजारने का मौका मिलता है। ऐसा महसूस होने लगता है कि लेखक रोजाना आपको अपने घर बुला रहे हैं, आपके साथ खा पी रहे हैं, बागवानी करते हुए, अपनी किताबों की धूल झाड़ते हुए या चाय की चुस्कियां लेते हुए वे अपने जीवन के ढके छुपे पल आपके साथ शेयर कर रहे हैं। खुद अपनी कहानी सुना रहे हैं। मैंने महात्मा गांधी की आत्मकथा, चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा और ऐन फ्रैंक की डायरी का भी अनुवाद किया है और इस बहाने हर विभूति के साथ बहुत सा वक्त गुजारने का सुख पाया है।
अनुवाद करते समय ही विभिन्न पत्रिकाओं में इसके रोचक अंश छपने लगे थे।
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा 2006 में आधार प्रकाशन से छपी, खूब पढ़ी गयी और सराही गयी। बंबई में एक भव्य आयोजन में फिल्मकार और लेखक वेद राही जी ने इसका लोकार्पण किया था।
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा का यह अनुवाद आधार प्रकाशन, पंचकूला ( संपर्क श्री देश निर्मोही, फोन नंबर 9417267004, ईमेल aadhar_prakashan@yahoo.com) पर तथा अमेजन पर हार्डबाउंड और पेपरबैक दोनों में उपलब्ध है। पेपरबैक में 596 पृष्ठ की किताब का मूल्य सिर्फ 395 रुपये है। इसके अलावा मेरी कुछ और किताबें भी अमेजन पर उपलब्ध हैं।
देश निर्मोही जी किताब भेजने के लिए डाकखर्च नहीं लेते।
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