किस्सा घुटने का
आज शाम मुंबई में हीरानंदानी अस्पताल में मेरे घुटने की सर्जरी हुई। लगभग साढ़े तीन घंटे चली। डॉक्टर संजीव जैन कमाल के डॉक्टर हैं। एक ही दिन में तीन घुटने ठोक पीट कर ठीक कर दिए।
दरअसल 4 महीने पहले रिओमोटाइड आर्थराइटिस ने मेरे शरीर पर हमला बोला था और मेरे बायें घुटने में ढेर सारा पानी भर दिया था। घुटना बेचारा शर्म के मारे पानी में डूब गया और बर्बाद हो गया। मेरा चलना फिरना बंद हो गया था। कई इलाज किये, बस झाड़ फूंक वालों के पास नहीं किया। मर्ज बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की।
एक ही उपाय बचा था कि सर्जरी कराई जाए और फिर पुरानी चाल हासिल की जाए। चलन पहले ही से ठीक है।
कल तक दायां पैर बायें पैर को छेड़ता रहता था कि मेरे पास राॅड है तेरे पास क्या है। आज शाम बायां पैर दायें को चिढ़ा रहा था कि मेरे पास नया घुटना है। ले कर ले जो करना है।
कल तक दायां पैर बायें पैर को छेड़ता रहता था कि मेरे पास राॅड है तेरे पास क्या है। आज शाम बायां पैर दायें को चिढ़ा रहा था कि मेरे पास नया घुटना है। ले कर ले जो करना है।
आपरेशन थियेटर की विजिट शानदार रही। मेरे शरीर के निचले हिस्से में एनेस्थीशिया दिया गया था और मैं सब कुछ सुन तो रहा था बस देख नहीं रहा था। मेरे सीने के ऊपर एक हरा पर्दा टांग दिया गया था। बरसों पहले जब मेरी दायीं टांग में राॅड डाली जा रही थी तो मैं स्क्रीन पर सब कुछ देख रहा था।
परदे के दूसरी तरफ से आरी चलाने, बरमें से छेद करने बार बार हथौड़ा पीटने, हड्डी जलने और इसी तरह की बीसियों आवाजें आ रही थी। मेरे ही घुटने के साथ ये सब हो रहा था। मेरे पीछे एफएम रेडियो बज रहा था। उस पर गाना आ रहा था - इक लड़की को देखा तो ऐसा लगा। मुझे लग रहा था कि मैं किसी कारखाने में हूं। ये सब 3:30 घंटे तक चलता रहा। बीच में बीच में डॉक्टर नर्सों को डांट रहे थे। फोन आने पर बता रहे थे कि अभी ऑपरेशन थिएटर में हूं, बाद में बात करेंगे। मैं सब कुछ सुन रहा था और चाहता तो लाइव कमेंट्री भी कर सकता था लेकिन इतना शोर था कि मेरी आवाज दब जाती।
कल फिजियोथैरेपिस्ट कह रही थी कि अगर थिएटर से टाइम पर आ जाएंगे तो आज ही आपको खड़ा करके ठुमक ठुमक कर चलाएंगे और 3 दिन में घर भेज देंगे। आप व्हील चेयर पर आए थे और चल कर जाएंगे। महीने भर में वॉलीबॉल खेलने की गारंटी।
मैं भी क्या शानदार जिंदगी जी रहा हूं। ये पांचवां आपरेशन था। बाएं पैर में रॉड, दो ऑपरेशन, स्पाइन के दो ऑपरेशन और वहां पर भी मैटल लगा हुआ है। जिंजिवाइटिस की वजह से दांत कब के दगा दे चुके। सड़क एक्सीडेंट में दायीं तरफ की आठ पसलियाँ कुचली हुई हैं और दायां कंधा बाहर निकला हुआ है। अच्छा खासा आयरन मैन हूं।
अस्पताल से मुझे एक कार्ड मिलेगा जिसमें लिखा होगा कि मेरे शरीर में ढेर सारा लोहा और इस्पात है। स्क्रीनिंग में काम आएगा ये कार्ड।
वाह, क्या नजारा होगा। अंतिम संस्कार के बाद जब मेरी अस्थियां चुनी जाएंगी तो उनमें ढेर सारा मैटल मिलेगा।
अच्छे दिन आने वाले 🤝 हैं।
अच्छे दिन आने वाले 🤝 हैं।
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