सोमवार, 12 अगस्त 2019

तेरे प्यार मेंं

जब वह अगली बार मिली तो बताया उसने - कल देर शाम हमारे घर टेलिफोन लग गया है।
मैंने बधाई दी और कहा कि ये तो बहुत ही अच्छी खबर है।
तभी उसने बताया कि जब कल शाम आठ बजे फोन चालू हुआ तो सबसे पहले मैंने ही उसका उद्घाटन किया और तुम्हारा नंबर डायल किया।
मैं हैरानी से बोला - अरे, तुम्हें पता तो है कि हमारा आॅफिस छह बजे बंद हो जाता है।
वह भड़की- तुम निरे बुद्धू हो। पता नहीं, तुम्हारे प्यार में कैसे पड़ गयी।
और वह उस दिन सचमुच नाराज हो कर चली गई थी।
कई दिन बाद मुझे समझ में आया था कि वह मुझसे कितना प्यार करती थी कि फोन पर सबसे पहले मेरा ही नंबर डायल करने का जो सुख उसने पाया था, मुझसे साझा करना करना चाहती थी। बेशक जानती थी कि बंद आॅफिस में देर तक घंटी बजती रहेगी।
हम कितने बुद्धू होते हैं न कि प्यार की अलग अलग इबारतें समझ ही नहीं पाते।
rsjs 

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