लेखकों की दुनिया
किसी भी लेखक की अपनी खुद की दुनिया बहुत पेचीदगी भरी होती है और कई बार उसे उसके लिखे हुए के जरिये नहीं पहचाना जा सकता। लेखक के भीतरी और बाहरी संघर्ष, उसकी कुछ खास आदतें, उसकी जीवन शैली, लिखने के लिए खुद को तैयार करने के कुछ नायाब तरीके, उसकी तकलीफें और कई बार उसकी जीवन शैली के हैरान कर देने वाले पक्ष हमें लेखक के नज़़दीक ले जाते हैं और हमें यकीन होने लगता है कि लेखन करना अय्याशी करने जैसा तो नहीं ही होता।
लेखन एक ऐसी साधना है जिसकी अभिव्यक्ति के किसी अन्य माध्यम से तुलना नहीं की जा सकती।
दुनिया भर के लेखकों के बारे में पढ़ने पर पता चलता है कि शायद ही कोई ऐसा लेखक हो जिसे तरह तरह की तकलीफ़ों से न गुज़रना पड़ा हो। किसी लेखक का बचपन ही बचपनविहीन रहा तो किसी लेखक को भयंकर आर्थिक और दूसरी तरह की तकलीफों से दो चार होना पड़ा। कई ऐसे भी लेखक रहे जो जीवन के आये दिन के संघर्षों का डट कर मुकाबला नहीं कर पाये और शराब की शरण में चले गये। कुछ लेखक बेहतरीन रच कर खुदकुशी कर बैठे। कई लेखक ऐसे भी रहे जिन्होंने अद्भुत रचा लेकिन उन्हें उनके काम की तुलना में मान्यता या तो मिली ही नहीं या कम मिली या देर से मिली या मिली तो मरने के बाद मिली।
चाहे कुछ भी रहा हो, हर लेखक ने अपना बेहतरीन लेखन आने वाली पीढ़ियों को दिया। दुनिया का हर लेखक अपने शब्दों के जरिये हमारे बीच आज भी ज़िंदा है। वैसे भी कहा जाता है कि लेखक कभी मरता नहीं, वह अपने शब्दों के जरिये देश, काल और भाषा की सारी सीमाएं लांघता हुआ हमेशा ज़िंदा रहता है।
लेखन एक ऐसी साधना है जिसकी अभिव्यक्ति के किसी अन्य माध्यम से तुलना नहीं की जा सकती।
दुनिया भर के लेखकों के बारे में पढ़ने पर पता चलता है कि शायद ही कोई ऐसा लेखक हो जिसे तरह तरह की तकलीफ़ों से न गुज़रना पड़ा हो। किसी लेखक का बचपन ही बचपनविहीन रहा तो किसी लेखक को भयंकर आर्थिक और दूसरी तरह की तकलीफों से दो चार होना पड़ा। कई ऐसे भी लेखक रहे जो जीवन के आये दिन के संघर्षों का डट कर मुकाबला नहीं कर पाये और शराब की शरण में चले गये। कुछ लेखक बेहतरीन रच कर खुदकुशी कर बैठे। कई लेखक ऐसे भी रहे जिन्होंने अद्भुत रचा लेकिन उन्हें उनके काम की तुलना में मान्यता या तो मिली ही नहीं या कम मिली या देर से मिली या मिली तो मरने के बाद मिली।
चाहे कुछ भी रहा हो, हर लेखक ने अपना बेहतरीन लेखन आने वाली पीढ़ियों को दिया। दुनिया का हर लेखक अपने शब्दों के जरिये हमारे बीच आज भी ज़िंदा है। वैसे भी कहा जाता है कि लेखक कभी मरता नहीं, वह अपने शब्दों के जरिये देश, काल और भाषा की सारी सीमाएं लांघता हुआ हमेशा ज़िंदा रहता है।
हर लेखक दूसरे लेखक से अलग होता है। उसकी आदतें, उसकी लिखने की शैली, उसका लेखन के लिए खुद को तैयार करना अपने आप में रोचक अध्ययन होता है। हर लेखक इस मायने में अनूठा होता है कि वह दिन के किस समय लिखता है, एकांत में लिखता है या शोर शराबे में लिखता है। शब्द गिन कर लिखता है या हर तरह के लेखन के लिए अलग रंग के कागज स्याहियां चुनता है। कई ऐसे भी लेखक रहे जो खड़े हो कर या लेट कर लिखते थे। कोई लेखक पहाड़ पर जा कर ही लिख पाता है तो किसी को घर का शोर शराबा ही लिखने के लिए प्रेरणा देता है। कुल मिला कर ये एक बहुत ही रोचक अध्ययन है और इस बात पर भी रोशनी डालता है कि लेखक कुछ न कुछ रचते रहने या राइटर्स ब्लॉक से बचने के लिए क्या क्या जुगतें नहीं भिड़ाता।
लेखकों की दुनिया एक ऐसी ही किताब है जो आपको दुनिया भर के कम से कम पांच सौ लेखकों से मिलवाती है। इन लेखकों ने सब कुछ सहा लेकिन टूटे नहीं और हमें अपना सर्वश्रेष्ठ दे कर गये।
लेखकों की दुनिया एक ऐसी ही किताब है जो आपको दुनिया भर के कम से कम पांच सौ लेखकों से मिलवाती है। इन लेखकों ने सब कुछ सहा लेकिन टूटे नहीं और हमें अपना सर्वश्रेष्ठ दे कर गये।
किसी भी भाषा में अपने तरह की पहली किताब जो हमें दुनिया भर के लेखकों की भीतरी दुनिया में ले जाती है।
किताबवाले प्रकाशन से छपी 250 पेज की हार्ड बाउंड किताब का मूल्य चार सौ रुपये है।
किताबवाले प्रकाशन से छपी 250 पेज की हार्ड बाउंड किताब का मूल्य चार सौ रुपये है।
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