हमारे एक मित्र अपने एक रिश्तेदार का किस्सा सुना रहे थे। जनाब 91 बरस के हैं। रोज दोनों टाइम कोई न कोई नान वेज डिश और रात को व्हिस्की के तीन पैग बरसों से उनकी खुराक है। वे फिट और स्वस्थ हैं और अपने आप में मस्त रहते हैं।
अब हुआ ये कि उनके कोई परिचित उनके बेटे से मिलने आए। जब उन्हें सीनियर की खुराक का पता चला तो वे नाराज़ हुए-क्या गजब करते हो। उन्हें इस उम्र में ये सब देते हो। कहीं कुछ हो गया तो।
सीनियर के 65 वर्षीय बेटे ने शांत स्वर में कहा - हम उनकी खाने पीने की आदतें नहीं बदल सकते। उन्हें कुछ भी नहीं होने वाला।
मेहमान हैरान। ये कैसा जवाब है।
तब बेटे ने समझाया-इनके कई फैमिली डाक्टर रहे जो इन्हें पिछले पचास बरसों से पीने से मना करते रहे। अफसोस कि वे सारे डाक्टर भगवान को प्यारे हो गए।
बाबा हैं कि न पीना छोड़ा न जीना।
अब हुआ ये कि उनके कोई परिचित उनके बेटे से मिलने आए। जब उन्हें सीनियर की खुराक का पता चला तो वे नाराज़ हुए-क्या गजब करते हो। उन्हें इस उम्र में ये सब देते हो। कहीं कुछ हो गया तो।
सीनियर के 65 वर्षीय बेटे ने शांत स्वर में कहा - हम उनकी खाने पीने की आदतें नहीं बदल सकते। उन्हें कुछ भी नहीं होने वाला।
मेहमान हैरान। ये कैसा जवाब है।
तब बेटे ने समझाया-इनके कई फैमिली डाक्टर रहे जो इन्हें पिछले पचास बरसों से पीने से मना करते रहे। अफसोस कि वे सारे डाक्टर भगवान को प्यारे हो गए।
बाबा हैं कि न पीना छोड़ा न जीना।
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