जब हम दोनों ने प्यार के चक्कर में तमिल सीखी
उन दिनों मैं दिल्ली में था। मंटो के शब्दों में कहें तो तब हम दोनों एक दूसरे के प्यार में घुटने घुटने डूबे हुए थे। जब तक हम एक ही ऑफिस में थे तो चल जाता था। दिन में कई बार बात भी और मुलाकात भी हो जाती थी लेकिन जब मैं नौकरी बदल कर दूसरे ऑफिस में चला गया तो बात करने ओर मिलने के मौके दुर्लभ होते चले गए। वह जिस हॉल में बैठती थी वहां पर एक ही कॉमन फोन था और जब वह मुझसे बात करती थी तो पूरे ऑफिस को खबर हो जाती थी। यह बहुत अच्छी स्थिति नहीं थी।
हमें मिले हुए बहुत दिन हो गए थे सो सोचा, लंच के बाद उसके घर के पास ही उससे मिला जाए। उसका घर और ऑफिस पास पास ही थे और वह लंच के लिए घर जाया करती थी। आधे दिन की छुट्टी ले कर एक लंबी मुलाकात हो जाती।
उसका इंतजार करते समय तभी मैंने वहां दीवार पर एक पोस्टर देखा - छह महीने में तमिल सीखें। कक्षाएं मंगल और शुक्रवार छह से आठ बजे तक। पढ़ते ही दिल खुश हो गया।
वह आयी तो नाराज़ होने लगी - यहां क्यों खड़े हो। मैंने बताया - नाराज़ बाद में हो लेना, पहले इसे पढ़ो। दो तीन बार पढ़ने के बाद उसे भी समझ में आ गया कि हमारी नियमित मुलाकातों के लिए कितना अच्छा मौका दिया जा रहा है। कक्षाएं आर के पुरम के सेक्टर छह में दिल्ली तमिल संगम में लगनी थी। यह जगह उसके घर से बहुत दूर नहीं थी।
हमने अगले ही दिन सबसे पहले जाकर एडमिशन ले लिया।
हमने अगले 6 महीने तक लगातार हफ्ते में दो बार, दो ढाई घंटे एक साथ क्लास में बैठकर खूब इश्क भी लड़ाया और तमिल भी सीखी। इन दो दिनों में कितने भी जरूरी काम हों, हम क्लास मिस नहीं करते थे।
आखिरी बात यह कि हम दोनों ने ही इस तमिल कोर्स में टॉप किया था। हमने तमिल में इतनी महारत हासिल कर ली थी कि कई बार फोन पर भी तमिल में बात करते थे, प्रेम पत्र भी तमिल में लिखते थे और अक्सर बात भी तमिल में करते।
हमें मिले हुए बहुत दिन हो गए थे सो सोचा, लंच के बाद उसके घर के पास ही उससे मिला जाए। उसका घर और ऑफिस पास पास ही थे और वह लंच के लिए घर जाया करती थी। आधे दिन की छुट्टी ले कर एक लंबी मुलाकात हो जाती।
उसका इंतजार करते समय तभी मैंने वहां दीवार पर एक पोस्टर देखा - छह महीने में तमिल सीखें। कक्षाएं मंगल और शुक्रवार छह से आठ बजे तक। पढ़ते ही दिल खुश हो गया।
वह आयी तो नाराज़ होने लगी - यहां क्यों खड़े हो। मैंने बताया - नाराज़ बाद में हो लेना, पहले इसे पढ़ो। दो तीन बार पढ़ने के बाद उसे भी समझ में आ गया कि हमारी नियमित मुलाकातों के लिए कितना अच्छा मौका दिया जा रहा है। कक्षाएं आर के पुरम के सेक्टर छह में दिल्ली तमिल संगम में लगनी थी। यह जगह उसके घर से बहुत दूर नहीं थी।
हमने अगले ही दिन सबसे पहले जाकर एडमिशन ले लिया।
हमने अगले 6 महीने तक लगातार हफ्ते में दो बार, दो ढाई घंटे एक साथ क्लास में बैठकर खूब इश्क भी लड़ाया और तमिल भी सीखी। इन दो दिनों में कितने भी जरूरी काम हों, हम क्लास मिस नहीं करते थे।
आखिरी बात यह कि हम दोनों ने ही इस तमिल कोर्स में टॉप किया था। हमने तमिल में इतनी महारत हासिल कर ली थी कि कई बार फोन पर भी तमिल में बात करते थे, प्रेम पत्र भी तमिल में लिखते थे और अक्सर बात भी तमिल में करते।
आज चालीस बरस बाद सोच रहा हूँ कि अगर वह फेसबुक पर होगी तो ये पढ़ कर तमिल में कुछ बुदबुदा रही होगी।
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