मिलेना - काफ्का की प्रेमिका
मिलेना जेसेंका (10 अगस्त 1886 - 17 मई 1944) उस वक्त के आस्ट्रिया - हंगरी के प्राग (अब चेक रिपब्लिक) में जन्मी चेक पत्रकार और अनुवादक थी। विवाह के बाद विऐना में रहते हुए उसने फ्रांज काफ्का की एक छोटी सी कहानी द स्टोकर पढ़ी। मिलेना ने काफ्का को पत्र लिखा कि वह इस कहानी का जर्मन से चेक में अनुवाद करना चाहती है। द स्टोकर काफ्का की पहली कहानी थी जिसकी किसी दूसरी भाषा में अनुवाद हो रहा था। इस पत्र से दोनों के बीच एक बेहद आत्मीय रिश्ते की शुरुआत हुई। वे मिलते रहे और कुछ दिन साथ भी रहे। मिलेना काफ्का का बहुत ध्यान रखती थी और उन्हें उनके अवसाद से बाहर निकालने की हद दरजे की कोशिशें करती रही थी।
दोनों के रिश्ते में दरार भी आयी क्योंकि मिलेना अपने पति को छोड़ने की हालत में नहीं थी। अलबता, दोनों में पत्र व्यवहार होता रहा। काफ्का की कुछ और कहानियों के भी अनुवाद किये गये। काफ्का ने मिलेना को जो खत लिखे थे उनकी एक पूरी किताब लैटर्स टू मिलेना 1952 में प्रकाशित हुई थी। यह किताब अमेजन पर उपलब्ध है।
मिलेना ने दो विवाह किये थे लेकिन दोनों ही निभ नहीं पाये थे।
सदी के तीसरे दशक में मिलेना का झुकाव कम्यूनिज्म की तरफ हुआ लेकिन 1936 में स्तालिनवाद की ज्यादतियों को देख कर कम्यूनिज्म से उसका पूरी तरह से मोह भंग हो गया। वह इन ज्यादतियों के खिलाफ लिखती रही।
जब जर्मन सेनाओं ने चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा कर लिया तो मिलेना ने सैकड़ों यहूदियों को वहां से बाहर निकालने में मदद की। 1939 में गेस्टापो ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। 1940 में उसे रेवेंसब्रुक में यातना शिविर में भेज दिया गया। यहां भी वह सताये हुए कैदियों की मदद करती रही। यातना शिविर में महिलाओं को इतने कष्ट दिये जाते थे जिनके बारे में पढ़ कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक मिसाल देना काफी होगा - एक महिला कैदी का सोने का एक दांत था। इस दांत के लोभ में वहां के चौकीदारों ने महिला के मुंह पर पत्थर मार मार का यह दांत उखाड़ लिया था।
यहीं पर उसका परिचय मारर्गेट बुबेर न्यूमान से हुआ। दोनों ने तय किया था कि वे इन ज्यादतियों के बारे में मिल कर एक किताब लिखेंगी। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। रेवेंसब्रुक में ही भयंकर यातनाएं सहते हुए मिलेना किडनी फेल हो जाने के कारण 1944 में गुजर गयी थी।
श्रद्धांजलि के रूप में मारर्गेट बुबेर न्यूमान ने मिलेना की जीवनी लिखी थी। इस जीवनी का अनुवाद मैंने संवाद प्रकाशन, आइ 499, शास्त्री नगर, मेरठ 250004 (alok.shrivastav@gmail.com)(samvadindia@vsnl.net) के लिए किया था।
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