हिंदी का पहला चैट उपन्यास - नॉट इक्वल टू लव
पिछले बीस बरसों में तकनीकी विकास और ग्लोबल विश्व की धारणा ने हमारे व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन और हमारी सोच को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। हम सबके जीवन में मोबाइल और सोशल मीडिया ने सबसे ज्यादा जगह घेर ली है और आपसी संवाद के, संप्रेषण के और रिश्तों के सारे तौर तरीके बदल गये हैं।
इन सबके आलोक में आपसी संबंधों को मैंने अपने पहले चैट हिंदी उपन्यास नॉट इक्वल टू लव में नये नजरिये से देखने की कोशिश की थी।
यह शायद हिंदी का या किसी भी भारतीय भाषा का पहला ऐसा उपन्यास था जो फेसबुक चैट के फार्मेट में लिखा गया था। मैंने इस उपन्यास में यह दिखाने की कोशिश की थी कि इस सारे तकनीकी विकास ने छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाली महिलाओं के लिए घर के भीतर और बाहर आजादी की कौन सी खिड़की खोली थी। 2016 में स्टोरीमिरर से प्रकाशित यह उपन्यास अपनी सहज शैली, विषय के निर्वाह और एक प्रासंगिक विषय को ईमानदारी से सामने रखने के कारण बहुत पसंद किया गया था। उपन्यास में केवल संवाद थे।
अकेले फेसबुक के माध्यम से ही इसकी पांच सौ से अधिक प्रतियां बिकी थीं, फेमिना पत्रिका ने इसे वर्ष के दस बेस्ट सेलर उपन्यासों में गिना था और कराची से इसका उर्दू में और नेपाल से नेपाली में अनुवाद हुआ था।
इस छोटे से उपन्सास पर चेन्नै की इंदु नारा ने एमफिल के लिए शोध प्रबंध लिख कर सर्वश्रेष्ठ शोध प्रबंध के लिए गोल्ड मैडल हासिल किया था।
संयोग से इस उपन्यास की मुख्य पात्र भी फेसबुक से ही आयी थी।
इन सबके आलोक में आपसी संबंधों को मैंने अपने पहले चैट हिंदी उपन्यास नॉट इक्वल टू लव में नये नजरिये से देखने की कोशिश की थी।
यह शायद हिंदी का या किसी भी भारतीय भाषा का पहला ऐसा उपन्यास था जो फेसबुक चैट के फार्मेट में लिखा गया था। मैंने इस उपन्यास में यह दिखाने की कोशिश की थी कि इस सारे तकनीकी विकास ने छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाली महिलाओं के लिए घर के भीतर और बाहर आजादी की कौन सी खिड़की खोली थी। 2016 में स्टोरीमिरर से प्रकाशित यह उपन्यास अपनी सहज शैली, विषय के निर्वाह और एक प्रासंगिक विषय को ईमानदारी से सामने रखने के कारण बहुत पसंद किया गया था। उपन्यास में केवल संवाद थे।
अकेले फेसबुक के माध्यम से ही इसकी पांच सौ से अधिक प्रतियां बिकी थीं, फेमिना पत्रिका ने इसे वर्ष के दस बेस्ट सेलर उपन्यासों में गिना था और कराची से इसका उर्दू में और नेपाल से नेपाली में अनुवाद हुआ था।
इस छोटे से उपन्सास पर चेन्नै की इंदु नारा ने एमफिल के लिए शोध प्रबंध लिख कर सर्वश्रेष्ठ शोध प्रबंध के लिए गोल्ड मैडल हासिल किया था।
संयोग से इस उपन्यास की मुख्य पात्र भी फेसबुक से ही आयी थी।
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