• नोबल पुरस्कार प्राप्त 58 नाटक रचने वाले जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का बचपन बहुत गरीबी में बीता था। उन्हें जेब खर्च के लिए 6 पेंस मिलते थे जिनसे बड़ी मुश्किल से दिन निकाल पाते। एक दिन फुटपाथ पर एक किताब देखी- 6 पेंस में कैसे दिन गुजारें। बड़ी मुश्किल से कई दिन तक एक एक धेला बचाते हुए वह किताब खरीदी। किताब पढ़ते ही पटक दी – साला यही तो मैं रोज करता हूं। मेरे ही अनुभवों पर किताब लिखी और मुझे ही .....।
• एक संपादक ने उनसे अपने दस समकालीन रचनाकारों के नाम बताने के लिए कहा तो उन्होंने अपना ही नाम दस तरीके से लिख कर दे दिया।
• किसी को उन्होंने 10 पाउंड देने थे। बर्नार्ड ने एक एक पाउंड के दस चेक काट कर दे दिये। भले मानस ने पूछा कि आप एक चेक दे कर भी काम चला सकते थे। जवाब मिला – ये दस चेक कैश कराओगे तो दस ही पाउंड मिलेंगे और नहीं कराओगे तो बाद में मेरे ऑटोग्राफ बेच कर सैकड़ों पाउंड कमा सकते हो।
• प्रसिद्ध हो जाने के बाद वे साक्षात्कार देने के लिए पैसे लेते थे।
• सेंट जोंस नाटक साढ़े तीन घंटे का था जिसके चक्कर में या तो नाटक छूटता था या आखिरी ट्रेन। जब उनसे कहा गया कि वे नाटक कुछ छोटा कर दें तो उन्होंने तुनक कर कहा था- आखिरी ट्रेन देर से चलवाने के बारे में सोचो।
• नोबल पुरस्कार देरी से मिलने पर जनाब बड़बड़ाये थे- जब तैराक किनारे पर पहुंच गया है तो उसे सेफ्टी बेल्ट दी जा रही है।
• उनका कहना था कि पुरुषों को जितनी देर से हो सके और महिलाओं को जितनी जल्दी हो सके, शादी करनी चाहिये।
• तंगी के दिनों में जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने घोस्ट राइटिंग भी की थी।
• उनका पाँच पेज रोज़ लिखने का नियम था। न कम न ज्यादा।
• गांधी जी की हत्या की खबर सुन कर वे बोले थे – इट इज टू बैड टू बी टू गुड। बहुत अच्छा होना भी हमेशा अच्छा नहीं होता।
• एक बार एक अति सुंदर महिला ने उनसे कहा – हम शादी कर लेते हैं। हमारे बच्चे को आपका बेहतरीन दिमाग और मेरा अतुलनीय सौंदर्य मिलेगा। तब भोले भंडारी बर्नार्ड ने पूछा – अगर इसका उलटा हो गया तो।
• बर्नार्ड ने दरअसल दाढ़ी अपने चेहरे के चेचक के दाग छुपाने के लिए रखी थी। वही उनकी पहचान बन गयी।
• वे लंदन स्कूल ऑ इकानामिक्स के संस्थापकों में से एक थे।
• वे आत्म प्रचार में किसी पर निर्भर नहीं रहते थे। घर से निकलते ही प्रेस को फोन कर देते- फलां जगह जा रहा हूं। फोटोग्राफर को भेज दो।
• बर्नार्ड शॉ के जितने किस्से सुनाये जाते हैं, उनमें से ज्यादातर उनके खुद के ही फैलाये हुए हैं।
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