रविवार, 6 दिसंबर 2015

कारपेंटरी से ज्ञानपीठ पुरस्‍कार तक का सफ़र –गुरदयाल सिंह


गुरदयाल सिंह (10 जनवरी, 1933 -)  आम आदमी की बात कहने वाले पंजाबी भाषा के विख्यात कथाकार हैं।
वे परिवार के पहले लड़के थे जो स्‍कूल जाने लगे थे। वे लिखते हैं कि स्‍कूल मेरे लिए ऐेसा जेलखाना था जिसके बारे में यही सोचता कि यहां से कभी रिहाई मिल जायेगी। बचपन से ही पारिवारिक बढ़ईगिरी के धंधे में लग जाना पड़ा। अभी वे 12-13 बरस के ही थे और कुछ सोचने-समझने लायक़ हो रहे थे, घरेलू हालात के चलते उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा, ताकि बढ़ई के धंधे में वह अपने पिता की मदद कर सकें।
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