उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले कैफ़ी आज़मी (मूल नाम अख़्तर हुसैन रिज़्वी) (19 जनवरी, 1919 - 10 मई, 2002) उर्दू के बेहतरीन शायर थे। उनके तहसीलदार पिता उन्हें आधुनिक शिक्षा देना चाहते थे किंतु रिश्तेदारों के दबाव के कारण कैफ़ी को इस्लाम धर्म की शिक्षा पाने के लिए लखनऊ के 'सुलतान-उल-मदरिया' में भर्ती किया गया। लेकिन वहां वे टिके नहीं। वहां वे यूनियनबाजी में पड़ गये और लंबी हड़ताल करा दी। बाहर निकाले ही जाने थे।
वे लखनऊ और इलाहाबाद विश्वविद्यालयों में पढ़े और उर्दू, अरबी और फ़ारसी भाषाओं का ज्ञान हासिल किया।
वे बहुत कम उम्र में ही वे शायरी करने लगे थे। 11 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली गज़ल लिखी।
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