3 फरवरी 2008 को सवेरे 10 बजे नेशनल म्यूजियम, नई दिल्ली में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा आयोजित एक भव्य आयोजन में समर्थ युवा लेखिका प्रत्यक्षा के कहानी संग्रह जंगल का जादू तिल तिल का लोकार्पण है.
हम सब ब्लागी प्रत्यक्षा को इस अनूठे सम्मान के लिए हार्दिक बधाई देते हैं ओर कामना करते हैं कि इसी तरह से उनकी कहानी की कई किताबें हमें पढ़ने को मिलती रहें.
कार्यक्रम के बाद भोजन का भी प्रबंध है ( आयोजकों की तरफ से)
12 टिप्पणियां:
प्रत्यक्षा जी को बहुत बहुत बधाई ।
घुघूती बासूती
प्रत्यक्षा को बधाई दें!
कालिया जी को याद कराएं !
जल्दी स्वास्थ्य-लाभ करें ! पूरी तरह फिट-फाट हों !
और बिस्तर पर बैठे हुए भी सक्रियता के लिए साधुवाद लें .
बहुत-बहुत बधाई, प्रत्यक्षा जी को। प्रियंकर जी की टिप्पणी से पता चलता है कि उनकी तबियत कुछ ठीक नहीं। आशा है 3 फरवरी तक पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगी। अफसोस कि उसी दिन दिल्ली से बाहर जाने का प्रोग्राम बन गया है।
यदि कोई ब्लॉगर साथी कहानी संग्रह के लोकार्पण कार्यक्रम में भाग लेने के बाद उसके बारे में लिख सकें तो अच्छा लगेगा।
बधाई!
अरे वाह ...ये तो बढिया समाचार हैं ..प्रत्यक्षा को मुबारकबादी व स्नेह सहित आशीष -- लावण्या
बहुत बढ़िया । बधाई प्रत्यक्षाजी। हम पता था कि तारीख जल्दी आने वाली है।
उपन्यास की तैयारी भी रखिये ।
प्रत्यक्षाजी को बधाई
अरे ! आपने सब को बता दिया ? हम तो चुपचाप वाला प्रोग्राम बनाये बैठे थे ।
आप सबों का बहुत बहुत आभार । बहुत शुक्रिया !
प्रत्यक्षा जी को बधाई
प्रत्यक्षा को बधाई .तुम्हारी खुशी और सफलता मुझे भी खुशी देती है. दुख है कि मैं दिल्ली नहीं पहुँच सकती .पर देखना मैं कोने में कुर्सी पर बैठी एक गौरवान्वित मुस्कान दे रही हूँ.
प्रत्यक्षा जी तक बधाई प्रेषित कर दें.
पहले संग्रह का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण अवसर होता है.
पहुंचने का प्रयास करूंगा.
प्रत्यक्षा जी बहुत-बहुत बधाई।
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