शनिवार, 9 मई 2015

उस वक्‍त हर कवि शक्‍ति दा जैसा जीना और लिखना चाहता था

• शक्‍ति चट्टोपाध्‍याय (1933-1995) जीते जी अपनी जीवन शैली और कविता में किंवदंती बन चुके थे।
• छठे और सातवें दशक में वे बांग्‍ला कविता को एक नये रूप में ढालने वाले सर्वाधिक लोकप्रिय कवि रहे। जेते पारी किंतु केनो जाबो और हेमांतर अरण्‍ये आमि पोस्‍टमैन देखेची जैसी कविताओं पर युवा पीढ़ी जैसे जान देती थी।
• वे भूखी पीढ़ी वाद के अगुआ थे। भूखी पीढ़ी वाद बांग्‍ला कविता का अकेला आंदोलन है।
• उनकी कविता में कौंध थी, ऊर्जा थी और वे कविता की धधकती हुई मशाल की तरह थे।
• शक्‍ति दा को रवीन्‍द्र नाथ टैगोर के बाद बांग्‍ला का सबसे बड़ा कवि माना जाता  है।
• वे बेशक बोहेमियन जीवन जीये, लेकिन इससे उनके कवि कद में कोई अंतर नहीं पड़ा। वे सबके बीच बेहद लोकप्रिय थे। सबके दरवाजे उनके लिए खुले रहते।
• एन राशिद पुलिस के बहुत बड़े अधिकारी थे, शायरी करते थे और शक्‍ति दा के बेहतरीन दोस्‍त थे। शाम को जब टहलते हुए शक्‍ति दा उनके चैम्‍बर में पहुंचते तो चैम्‍बर के बाहर पहरा लग जाता और राशिद साहब का चेम्‍बर शक्‍ति दा के लिए बार में बदल जाता। उनके लिए सारे कानून ताक पर रख दिये जाते।
• कुलदीप सिंह (थिंद) नाम का एक टैक्‍सी ड्राइवर कविता करता था और शक्‍ति दा का बेहतरीन दोस्‍त और हम प्‍याला था। शक्‍ति दा की जेब तो सुबह से ही खाली होती, कुलदीप भी दिन भर कमाता और शक्‍ति दा की संगत करता।
• शक्‍ति दा ने कई टैक्‍सी ड्राइवरों को कविता लिखने के लिए प्रेरित किया था और कविता लिखना सिखाया था।
• शक्‍ति दा की लोकप्रियता का ये आलम था कि रात में अगर कोई ट्राम ड्राइवर, बस ड्राइवर या टैक्‍सी ड्राइवर उन्‍हें सड़क के किनारे नशे में खड़ा हुआ देखता तो तय है कि उन्‍हें घर पहुंचाया ही जायेगा।
• सुनील बंद्योपाध्‍याय शक्‍ति दा के बहुत गहरे मित्र थे और दोनों एक दूसरे का बहुत मान करते थे। बाद के दिनों में सुनील ने यह माना था कि काश वे भी शक्‍ति की तरह जीवन जी पाते और उनकी तरह कविता लिख पाते।
• चार बरस की उम्र में ही वे अपने पिता को खो चुके थे और वयस्‍क होने तक रिश्‍तेदारों के भरोसे पले। झोपड़पट्टी में भी रहे।
• मार्क्‍सवाद की ओर उनका झुकाव हुआ और कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी के सदस्‍य भी बने और अलग भी हो गये।
• वे कुछ वर्ष तक चाइबासा में समीर रायचौधुरी के मेहमान बन कर रहे और वहां वे समीर की साली के प्रेम में पड़ गये और खूब कविताएं लिखीं।
• शक्‍ति दा ने लगभग 2500 कविताएं लिखीं जो 45 किताबों में संग्रहीत हैं।
• 1983 में साहित्‍य अकादमी सम्‍मान पाने वाले शक्‍ति दा शायद दुनिया के ऐसे अकेले कवि होंगे जिनकी कविता एक फोटो फ्रेम में कोलकाता के धर्मतल्‍ला के एक शराब घर के दरवाजे पर लगी हुई है।
शक्‍ति दा की एक कविता का अंग्रेजी अनुवाद
 I think, I will rather turn back
So long,
I have smeared so much soot in my hands
Never thought of you as you are -

Now, when I stand by the gorge at night,
The moon beckons, come on over -
Now, when I stand mesmerized by the levee,
The pyre logs call, 'come, c'mon over! '

I can go,
I can go in any direction
But why shall I go?

Got to kiss a long one to my kid
Will go,
But not right now
I will take you along as well
Won't go alone before time.

[Translated by Arindam Basu] 

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