सोमवार, 19 मई 2008

महानगर की कथाएं - एक रास्‍ता यह भी

"सुन री, अगले हफ्ते से बजाज सेंटर में चाइनीज और ओरिएंटल कुकरी की क्लासेस शुरू हो रही है। बहुत मन कर रहा हैं मेरा ओरिएंटल खाना बनाना सीखने का लेकिन जाऊं कैसे?
"क्यों, क्या परेशानी है?"
"परेशानी सिर्फ इतनी सी है मेरी बिल्लो रानी कि ये क्लासेस पूरे चालीस दिन की हैं और सवेरे दस से तीन बजे तक चलने वाली हैं। अब इस शौक को पूरा करने के लिए डेढ़ महीने की छुट्टी लेना कोई बहुत बड़ी समझदारी की बात तो नहीं होगी ना।"
"हम तेरी मुफ्त की छुट्टी का इंतजाम कर दें तो बता क्या ईनाम देगी।"
" सच . . . तू जो कहे . . . जहाँ तू कहे शानदार पार्टी मेरी तरफ से। बता कैसे मिलेगी मुझे छुट्टी?"
"मिलेगी बाबा . . . . जरा धैर्य से। पहले मेरे दो तीन सवालों के जवाब दे। कितने बच्चे हैं तेरे?"
"एक ही तो है केतन . . . . क्यों?"
"कोई सवाल नहीं। अच्छा ये बता ओर बच्चा तो नहीं पैदा करना है तुझे?"
"अभी तक तो सोचा नहीं। हां भी और नहीं भी।"
"कोई बात नहीं। ऐसा कर, कल ही तू जा कर अपना एडमिशन करवा लेना।"
" दैट्स ग्रेट। लेकिन छुट्टी।"
"छुट्टी मिलेगी आपको एमटीपी का एक लैटर दे कर। पूरे पैंतालीस दिन की। दो बार ली जा सकती है। मिसकैरिज के लिए कोई सबूत थोड़े ही चाहिये।"
"अरे वाह, मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था। मैं कल ही अपनी गायनॉक से बात करती हूँ।"
"सिर्फ अपने लिए नहीं, मेरे लिए भी बात करना। मैं भी . . . ।"
"यू टू ब्रूटस।"

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

badaboodar lekhan band karo

अजित वडनेरकर ने कहा…

ये बढ़िया है।

pallavi trivedi ने कहा…

nice....