tag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post3644313282540395724..comments2023-06-29T06:50:03.413-07:00Comments on कथाकार: ज़ख्मी पांवों और बुलंद हौसलों का शहर.....बंबईकथाकारhttp://www.blogger.com/profile/05339019992752440339noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-3902817069520423192007-10-27T21:18:00.000-07:002007-10-27T21:18:00.000-07:00मेरे प्रिय मेहमानों ब्लॉग बनने के पहले ही दिन दस...मेरे प्रिय मेहमानों ब्लॉग बनने के पहले ही दिन दस शानदार टिप्पणियां. अच्छा लगा कि एक नयी दुनिया है जहां लोग एक दूसरे की रचनाओं को देखते सराहते और पढ़ते हैं. <BR/>मेरी कोशिश रहेगी कि हर सोमवार आपको कुछ नया दूं पढ़ने के लिए. आपकी राय का इंतजार रहेगा. <BR/>ये भी कोशिश रहेगी कि साथी रचनाकारों की रचनाओं का आनंद लूं और उस पर अपनी राय दूं. <BR/>एक ख्याल आ रहा है मन में. कविता कोष की तरह एक कहानी कोश बनाने की दिशा में सोचा जाये. काम बहुत बड़ा है लेकिन अगर दो चार समान धर्मा साथी एक साथ काम में जुट जायें तो ये बड़ा काम भी आसान हो जायेगा. देखें, कब तक हो जाता है. आप भी इस बारे में सोच कर बताइये.<BR/>आमीन सूरजकथाकारhttps://www.blogger.com/profile/05339019992752440339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-5867752602064037682007-10-27T08:49:00.000-07:002007-10-27T08:49:00.000-07:00बहुत खूब। बिना लाग लपेट के, गतिशीला मुम्बई का गति...बहुत खूब। बिना लाग लपेट के, गतिशीला मुम्बई का गतिशीलता और वैविध्यता से वर्णन।Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-18506677734375429502007-10-27T02:52:00.000-07:002007-10-27T02:52:00.000-07:00इतना अच्छा लिखा है मुम्बई को कि दो चार सौ और नये ल...इतना अच्छा लिखा है मुम्बई को कि दो चार सौ और नये लोगो का मुम्बई आना पक्का. ये बोधिसत्व जी आपका लिग खोल कर लोगो को दिखा रहे है. प्रदर्शनकारी इसी को बोलते है अपना नही किसी और का सहीबसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-26222231065452747512007-10-26T23:54:00.000-07:002007-10-26T23:54:00.000-07:00स्वागत है आपका यहां!आशा है कि यहां आपको नियमित रुप...स्वागत है आपका यहां!<BR/><BR/>आशा है कि यहां आपको नियमित रुप से पढ़ने का मौका मिलता रहेगा!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-26734210328401400342007-10-26T23:42:00.000-07:002007-10-26T23:42:00.000-07:00ब्लॉग समुदाय में स्वागत है । क्या आप मुंबई लौट ...ब्लॉग समुदाय में स्वागत है । क्या आप मुंबई लौट आए हैं । या फिर पूना में रहकर मुंबई को याद कर रहे हैं ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-6058641144193555992007-10-26T23:25:00.000-07:002007-10-26T23:25:00.000-07:00कथाकार - खैरम कदम ।कथाकार - खैरम कदम ।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-54482015405552460872007-10-26T23:22:00.000-07:002007-10-26T23:22:00.000-07:00....टूटे सपनों की एक बहुत बड़ी, विशाल और रोजाना बड.......टूटे सपनों की एक बहुत बड़ी, विशाल और रोजाना बड़ी होती जाती आकाश को छूती कब्रगाह ।<BR/>सुंदर लेख्……पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-45826061106060921462007-10-26T23:08:00.000-07:002007-10-26T23:08:00.000-07:00मुंबई समुद्र के किनारे बसी है, फिर भी प्यासी है।मुंबई समुद्र के किनारे बसी है, फिर भी प्यासी है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02514200566679057059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-85835260959686948902007-10-26T22:55:00.000-07:002007-10-26T22:55:00.000-07:00"बंबई विरोधाभासों का शहर है। देश का सबसे बड़ा कॉस्..."बंबई विरोधाभासों का शहर है। देश का सबसे बड़ा कॉस्मोपॉलिटन शहर आपकी प्राइवेसी की खूब कद्र करता है, इतनी ज्यादा कि आप न जानना चाहें तो ज़िंदगी भर आपको अपने पड़ोसी का नाम भी पता न चले और आप किसी से बोलना बतियाना चाहें तो कोई भी नहीं मिलेगा और आपको पागल कर देने वाली भीड़ में भी इतना अकेलापन दे देगा कि आप किसी से दो मीठे बोल बोलने के लिए तरस जायें। यह इसी शहर में हो सकता है...."<BR/><BR/>मैं तो कभी मुम्बई नहीं गया...करीब तीन साल पहले मेरा एक दोस्त गया था...इन्टरव्यू देने..आकर बोला;"मुम्बई को श्राप दे आया हूँ"...मैंने पूछा क्यों, तो बोला "मैं जिन सज्जन के यहाँ टिका था उन्हें ये नहीं मालूम की पिछले अट्ठारह सालों से उनके ठीक सामने वाले घर में कौन रहता है...मैं मुम्बई नहीं जाऊंगा..." <BR/><BR/>और देखिये, पिछले तीन सालों से वहीं पर है...नौकरी कर रहा है...अब बोलता है "मुम्बई हमको जम गयी.." आपका लेख मुम्बई के बारे में न जाने कितने लेखों में एक और कड़ी जोड़ गया...स्वागत है सर.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-73888090116883797722007-10-26T22:34:00.000-07:002007-10-26T22:34:00.000-07:00अपना मुम्बई हमेशा बना रहेगाअपना मुम्बई हमेशा बना रहेगाAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-17458823572536326782007-10-26T21:42:00.000-07:002007-10-26T21:42:00.000-07:00स्वागत है भाईस्वागत है भाईबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.com