tag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.comments2023-06-29T06:50:03.413-07:00कथाकारकथाकारhttp://www.blogger.com/profile/05339019992752440339noreply@blogger.comBlogger352125tag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-47522413479737050042016-06-25T08:32:46.448-07:002016-06-25T08:32:46.448-07:00बाबा मार्क्स की समाधी का भी टिकट? वाह.... बाबा मार्क्स की समाधी का भी टिकट? वाह.... गजेन्द्र कुमार पाटीदारhttps://www.blogger.com/profile/14369528225853404735noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-3117863838170706202016-06-07T03:38:15.085-07:002016-06-07T03:38:15.085-07:00जिंदगी में जिंदगी अपने तरीके से ढूंढती महिला, उसकी...जिंदगी में जिंदगी अपने तरीके से ढूंढती महिला, उसकी जीवन शैली और उसका उन्मुक्त अंदाज़, बहुत बेबाकी से खुद को अभिव्यक्त करती अनोखी सी कहानी या काHउन घटना,बढ़िया लगा पढ़ कर।<br />बधाई और शुभकामनायें।gyaneshwaari singhhttps://www.blogger.com/profile/16752930608738766658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-91807103723415392182016-05-28T01:58:59.998-07:002016-05-28T01:58:59.998-07:00saadhuwaad ,
saadar pranam sir !
saadarsaadhuwaad ,<br />saadar pranam sir !<br />saadarसुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-40797251647136613122016-05-21T18:49:33.256-07:002016-05-21T18:49:33.256-07:00बढिया संस्मरण !बढिया संस्मरण !अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-34165496767299220482016-05-21T05:30:39.454-07:002016-05-21T05:30:39.454-07:00बहुत सुन्दर लेख। बहुत सुन्दर लेख। भ्रमर गीतhttps://www.blogger.com/profile/05676347034078290632noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-1038600291651003582015-09-22T12:26:00.642-07:002015-09-22T12:26:00.642-07:00सार्थक बातचीत। पढ़कर अच्छा लगा।सार्थक बातचीत। पढ़कर अच्छा लगा।morchanghttps://www.blogger.com/profile/17198183698776647924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-69113521615750330542015-09-22T12:25:17.558-07:002015-09-22T12:25:17.558-07:00अच्छी बातचीत...बहुत सारे अनुभव।अच्छी बातचीत...बहुत सारे अनुभव।morchanghttps://www.blogger.com/profile/17198183698776647924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-19480734723684587552015-09-21T20:40:52.793-07:002015-09-21T20:40:52.793-07:00बचपन में और बाद में भी मैंने गोर्की की माँ को पढ़ा।...बचपन में और बाद में भी मैंने गोर्की की माँ को पढ़ा।ऐसी कोई और रचना नहीं है।यह सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ है।<br />इधर मैंने कुछ दिन पहले रती नाथ भादुड़ी की *ढोढाय चरित मानस *(रेनू जी के साहित्यिक गुर)पढ़ी थी।वह भी विलक्छन किताब है। हो सके तो ऐसी पुस्तकों का सार -संछेप देने की कृपा करें।बहुत सुन्दर होगा।narendraps.19.nps@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/01574300363185883845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-54521009005006257562015-09-21T20:28:25.953-07:002015-09-21T20:28:25.953-07:00मैंने बचपन में और बाद मे भी गोर्की की माँ पढ़ी है।स...मैंने बचपन में और बाद मे भी गोर्की की माँ पढ़ी है।सच तो यही है ऐसी रचना दूसरी नहीं।हर दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ।<br />राति नाथ भादुड़ी (रेणु जी के साहित्यिक गुर)की भी एक पुस्तक पढ़ी थी *ढ़ोढाय चरित मानस*।ये दोनों पुस्तकें आज तक मन मस्तिष्क पर छायी रहीं।संभव हो तो इनका सार संछेप इस ब्लॉग पर भी डालें।बहुत सुन्दर होगा।narendraps.19.nps@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/01574300363185883845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-42276681173643411312015-09-16T15:49:11.855-07:002015-09-16T15:49:11.855-07:00आज आपके कई लेख पढ़े.सभी पसंद आए. हम जैसों के लिए ल...आज आपके कई लेख पढ़े.सभी पसंद आए. हम जैसों के लिए लिखते रहें.Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-42284667763049636422015-07-13T21:59:50.226-07:002015-07-13T21:59:50.226-07:00yek lambi or achhi kahani....hr ko kuch hissa shya...yek lambi or achhi kahani....hr ko kuch hissa shyad apni jindgi lage,pr kuch anshon me jyada laga pr yek sans me padhnewali rochak kahani...aadhunikta ke bhitar rachi-basi sidhyant...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08486476255134733859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-18977520773900644722015-07-04T12:53:12.927-07:002015-07-04T12:53:12.927-07:00यह बातचीत बहुत अच्छी लगी। यह बातचीत बहुत अच्छी लगी। मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-74640833752294231712015-07-01T03:32:10.765-07:002015-07-01T03:32:10.765-07:00sir saadar pranam , bhut kuch seekhne ko miltaa aa...sir saadar pranam , bhut kuch seekhne ko miltaa aap ko padhne se <br />pranamसुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-51026935882924059172015-06-30T03:44:41.122-07:002015-06-30T03:44:41.122-07:00नागार्जुन बाबा को नमन ....... नागार्जुन बाबा को नमन ....... मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-65607626746545629902015-06-30T03:44:14.949-07:002015-06-30T03:44:14.949-07:00नमन .....नमन .....मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-83224744468900152832015-06-07T00:54:10.606-07:002015-06-07T00:54:10.606-07:00अंग्रजी उपन्यासों की चार करोड़ प्रतियों क बिकना और ...अंग्रजी उपन्यासों की चार करोड़ प्रतियों क बिकना और हिंदी कथा-उपन्यास की 400 प्रतियों का भी पांच साल तक न बिक पाना ...इस खाई के बीच कई पेच हैं जो कुच्ह मेरी समझ में आए हैं वे ये हैं:<br />1. विदेशों में जो कुछ भी साहित्य लिखा/बेचा जाता हैं उसमें मार्केटिंग/पब्लिशिन्ग अजेन्ट की भूमिका प्रमुख होती है जो लेखक का भी हित साधता है। हिंदी साहित्य जगत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। 2. हिंदी भाषा की अपनी सीमा है और हमारे यहां शिक्षा का स्तर भी पर्याप्त नहीं है। हिंदी के प्रकाशक लेखकों की दयनीय अवस्था से भलीभांति परिचित हैं और वे अब तो खुल कर कहते हैं -जो पैसे देगा उसको छापेंगे...रोयल्टी की बात तो भूल जाइए अब तो संस्करण भी 200-250 प्रतियों के हो गये लेखकीय प्रतियां दो-ढाई तक सीमित हो गईं. 3) हिंदी में मित्र लेखक/पाठक सब भेंट चाह्ते हैं, खरीदना कोई नहीं चाहता 4) अपवादों को छोड़ दें हिंदी लेखक की रचनाओं के पीछे शोध द्रृष्टि औ्रर पाठकों की बदलती रुचि से सामंजस्य बैठाने की क्षमता का अभाव है..यह प्रवचन लगभग 10 बिंदुओं तक तो जा ही सकता है..पर चलिए यहीं खत्म करते है< क्योंकि जिसको पढ़ाओ वही कहेगा -आपकी बात तो सही है पर हम अकेले क्या करें...<br />रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-70816793728608054242015-05-26T03:03:38.755-07:002015-05-26T03:03:38.755-07:00बेहतरीन कहानी , पर अतिरेक है संबंधों का समीकरण भीबेहतरीन कहानी , पर अतिरेक है संबंधों का समीकरण भीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14053585675121926517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-8165268145998244252015-05-14T02:05:53.777-07:002015-05-14T02:05:53.777-07:00बहुत ऱोचक और बहुमूल्य जानकारी आपके जरिये हमें उपलब...बहुत ऱोचक और बहुमूल्य जानकारी आपके जरिये हमें उपलब्ध हो रहे हैं , हार्दिक शुभकामनायें ! आप हमारे ब्लॉग से जुड़े आपका अभिनंदन हैं - http:www.raj-meribaatein.blogspot.com<br />NKChttps://www.blogger.com/profile/10151125699002182567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-58499415174237998032015-05-14T01:50:56.259-07:002015-05-14T01:50:56.259-07:00अद्भुत।अद्भुत।gautam kewaliyahttps://www.blogger.com/profile/15036190150096603603noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-16804674283568241732015-05-13T07:43:45.416-07:002015-05-13T07:43:45.416-07:00कहते हैं, जीवन में तीन चौथाई अज्ञान है पर मैं तो प...कहते हैं, जीवन में तीन चौथाई अज्ञान है पर मैं तो पूरा-का-पूरा अज्ञानी हूं..आप (सूरज प्रकाश) इतना कुछ लिख कर, बता कर सचमुच बड़ा उपकार कर रहे हैं हम जैसों पर..आपका ब्लोग मुझे समृद्ध कर रहा है, हृदय से आभार!रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-34270644377204733082015-05-12T06:06:27.745-07:002015-05-12T06:06:27.745-07:00दलि को छू लेने वाली कहानी जो आभासी संसार से हकीकत ...दलि को छू लेने वाली कहानी जो आभासी संसार से हकीकत बताने चली आई आप तक .... वरना कितनी कहानियां दम तोड़ देती हैं ... Alaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-77587982709312348542015-05-12T06:02:21.006-07:002015-05-12T06:02:21.006-07:00लेखकों के किस्से से अवगत कराकर आपने हमें कई ऐसे वृ...लेखकों के किस्से से अवगत कराकर आपने हमें कई ऐसे वृतांत बताए जो हमारे लिए थाती बनेंगे...Alaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-10668225148100904062015-05-12T06:00:06.586-07:002015-05-12T06:00:06.586-07:00आपका ये प्रयास हमारे लिए बहुमूल्य थाती बना रहेगा.....आपका ये प्रयास हमारे लिए बहुमूल्य थाती बना रहेगा... अद्भुत...Alaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-40925356429278765402015-05-11T03:23:40.150-07:002015-05-11T03:23:40.150-07:00एक अच्छी कहानी. जीवन का हर पल जीने की सीख देता हुआ...एक अच्छी कहानी. जीवन का हर पल जीने की सीख देता हुआ. इस जीने के क्रम में सीमाओं का निर्धारण समय ही करता है हमें प्रयास नहीं करना होता है. कभी असीम भी आनंद देता है कभी सीमाओं में भी सुकून का एहसास होता है. नताशाhttps://www.blogger.com/profile/00513711055550318959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3725913520567987009.post-73615631954859605982015-05-05T05:06:19.120-07:002015-05-05T05:06:19.120-07:00मार्क्स साहब मरने के बाद भी बायीं तरफ।hahahaha pur...मार्क्स साहब मरने के बाद भी बायीं तरफ।hahahaha pura lekh bahuth acha hai sir.thanksguru dattahttps://www.blogger.com/profile/14769468703888852690noreply@blogger.com